Tuesday, December 30, 2008

टूटे हुए शीशे

कभी न सच होगा वो सपना देख लिया
जो मुझे समझ नही सकती थी उससे दिल लगा बैठा
गलतिया मै हमेशा करता रहा
फिर भी नजाने इस किस्मत को क्यों कोसता रहा
अब बस होगया है इस दौड़ से
हाथ बस कुछ टूटे हुए शीशे मिले

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