Tuesday, September 30, 2008

दोस्त बनके मैं भी रहता

दोस्त बनके मैं भी रहता
अगर प्यार का जिक्र नही होता
दोस्ती का ये नाता मैं भी निभाता
अगर महोब्बत करके दोस्त बने रहना आसान होता

Monday, September 29, 2008

कल किनारा कोई और था

कल किनारा कोई और था
आज किनारा कोई और है
मौसम तो आज भी वही है
बस इनसान बदल चुका है

Sunday, September 28, 2008

शुक्रिया

तुमसे नही मिलता तो हुस्न की दुनिया को कैसे जानता
दोखा क्या होता है इसका एहसास कैसे होता
शुक्रिया ऐ बेवफा
बेवफाई क्या होता है ये मैंने तुमसे जाना

Saturday, September 27, 2008

आया और चला भी गया

कोई तरसता था हमसे बात करने के लिए
कोई तडपता था हमारे साथ वक्त बिताने के लिए
दोखे का एक साया था शायद
आया और चला भी गया