दोस्त बनके मैं भी रहता
दोस्त बनके मैं भी रहता अगर प्यार का जिक्र नही होतादोस्ती का ये नाता मैं भी निभाता अगर महोब्बत करके दोस्त बने रहना आसान होता
कल किनारा कोई और था
कल किनारा कोई और था
आज किनारा कोई और है
मौसम तो आज भी वही है
बस इनसान बदल चुका है
शुक्रिया
तुमसे नही मिलता तो हुस्न की दुनिया को कैसे जानता
दोखा क्या होता है इसका एहसास कैसे होता
शुक्रिया ऐ बेवफा
बेवफाई क्या होता है ये मैंने तुमसे जाना
आया और चला भी गया
कोई तरसता था हमसे बात करने के लिए
कोई तडपता था हमारे साथ वक्त बिताने के लिए
दोखे का एक साया था शायद
आया और चला भी गया