न थी हमें
न थी हमें भगवान पे भरोसा
न थी हमें महोब्बत पे भरोसा
जब से तुमने धोखा दिया है
उटगया है रिश्तो नातो से भरोसा
न थी हमें भगवान पे भरोसा
अब समझ रहा हूँ तुम्हारे बातोमे सच्चाई कितनी थी
लिखू ग़ज़ल तुझपर या लिखू तेरी बेवफाई पर
था नही तुम्हे महोब्बत हमसे तो उसे महोब्बत का नाम क्यों दिया
जानता हूँ मेरे बातोंका आज तुमपे कोई असर नही होगा
टूट रहा हूँ मै आज मुझे बिखरने दो।
सोचा नही था के ऐसा भी कोई दिन आएगा।
Somewhere inside me I still find you
जिंदगी से फिरसे एक तूफ़ान गुज़र रहा है।